Monday 6 January 2020

विश्व पुस्तक मेला, प्रगति मैदान मे उप मुख्यमंत्री द्वारा "परवाज़ - एक ज़ख़्मी पंछी की" का लोकार्पण।

6 जनवरी 2020

सीनियर फोटोग्राफर एवं रिपोर्टर
नरेन्द्र कुमार,

नई दिल्ली:प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में बत्तीस वर्षीय युवा लेखक व कवि मोहित चौहान की पुस्तक “परवाज़ - एक ज़ख़्मी पंछी" का लोकार्पण हुआ। मोहित चौहान की पुस्तक "परवाज़- एक ज़ख़्मी परिंदे की" कविताओं,  नज़्मों, व शेर और शायरी का एक ऐसा संग्रह है जिसमें ईश्वर की बनाई इंसानी संवेदनाओं और विभिन्न भावनाओं का समिश्रण है। जिसमें जहां एक ओर प्रेम की धारा बहती है, तो वहीं दूसरी ओर दर्द का गहरा समुंदर है, आज की मतलबी दुनिया, दोगले रिश्तों का वर्णन है। तो दूसरी तरफ कभी न हारने की सीख, हर विषमता का साहस के साथ सामना करने की प्रेरणा दी गयी है।
पुस्तक का विमोचन दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा किया गया। इस विशेष अवसर पर मुख्य अतिथि मनीष सिसोदिया जी, के अतिरिक्त हिंदी साहित्य की कुछ विशिष्ट हस्तियां, डॉ प्रेम जन्मेजई जी, डॉ हरीश नवल जी, डॉ संगीता शर्मा अधिकारी जी, श्रीमती सुनीता शानू जी और श्री रणविजय राव भी उपस्थित थे जिन्होंने मोहित की पुस्तक “परवाज़ - एक ज़ख़्मी पंछी की पर अपनी राय और विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम की मेजबानी बेहद प्रतिभाशाली चित्रा चक्रवर्ती द्वारा की गयी जिन्होंने पूरी शाम को बेहद खूबसूरत बनाया और वहां उपस्थित सभी लोगों इस कार्यक्रम में एक साथ संजोये रखा।
काव्य क्षेत्र मोहित चौहान ने करीब 3 साल पहले कदम रखा और बहुत कम समय में अपनी कविताओं द्वारा लोगों के दिलों में अपने लिए एक खास जगह बनायी। मोहित चौहान अपनी कविताओं द्वारा लोगों को प्रेरित कर उनका मार्गदर्शन करते हैं। नियति द्वारा प्राप्त "मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी" नामक घातक व लाइलाज बीमारी की बेड़ियों में बंधे होने के बावजूद इन्होनें कभी भी अपने सपनों की उड़ान को निराशा के पिंजरे में कैद नहीं होने दिया और अपने इस अभिशाप को वरदान में बदल कर अपनी कलम की तलवार से इस बेबसी की बेड़ियों को तोड़ते हुए अपने लिए एक मुकम्मल दुनिया कायम की। एक ऐसी दुनिया जहाँ कभी न गिरने वाला मनोबल, जोश और जुनून है और जहाँ "निराशा" "नकरात्मकता" व "नामुमकिन" जैसे शब्दों का कोई स्थान नहीं है।
 
समारोह में उपस्थित सभी लोग मोहित के हौसले को देख कर और उनकी कविताओं को सुनकर उनके कायल हो गए कि एक व्यक्ति ज़िंदगी को लेकर इतना ज़िंदादिल और सकरात्मक कैसे हो सकता है। मनीष सिसोदिया और हिंदी साहित्य के सभी दिग्गज विद्वान भी मोहित के जज़्बे से बेहद प्रभावित हुए और उन्हें अपना आशीर्वाद देकर उनके उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। मोहित चौहान के जज़्बे को सलाम करते हुए, सिसोदिया जी ने कहा - जैसा कि आप जानते हैं कि चुनाव नज़दीक आ रहे हैं और उप मुख्यमंत्री होने के नाते मंत्रालय के प्रति मेरी कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं लेकिन "जब मोहित चौहान मेरे निवास स्थान पर अपनी पुस्तक के लोकार्पण के लिए मुझे मुख्य अतिथि के रूप मे आमंत्रित करने आए तो मैं उन्हें देखकर मना नहीं कर पाया। वास्तव में मैं उनकी आभा और शब्दों से बहुत प्रेरित हुआ।
उन्होंने कहा, मोहित एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित है और मैं वास्तव में इस बात से प्रेरित हूं कि पिछले 32 वर्षों से जीवन की कठिनाइयों और दैनिक संघर्षों का सामना करने के बावजूद मोहित के धैर्य और दृढ़ संकल्प को कुछ भी हिला नहीं सका है। उसने जीवन जीने के लिए चुना है।“मोहित ने जब अपनी पुस्तक की एक कविता "माँ" लोगों के समक्ष रखी तो कार्यक्रम उपस्थित सभी लोगों की आँखें नम हो गई।

इस समारोह को इतने बड़े स्तर पर आयोजित करने व सफल बनाने में नेशनल बुक ट्रस्ट के डॉ ललित किशोर मंडोरा का विशेष योगदान रहा जिसके लिए मोहित चौहान के परिवार व सगे संबंधियों ने उनका हृदय तल से आभार प्रकट किया। अंत में मोहित चौहान ने समारोह की समाप्ति अपने जोशीले अंदाज़ में की और वहां सम्मिलित सभी लोगो को एक उत्साह वर्धक संदेश दिया कि:

गालियों का शोर एक दिन तालियों में बदलेगा, तेरे हौसलों के आगे पत्थर क्या पर्वत भी पिघलेगा

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