Thursday 23 July 2020

कोर्ट ने सोनू पंजाबन को सुनाई 24 साल की सजा। आखिरकार पीड़ित महिला को मिला इंसाफ "दिल्ली महिला आयोग" की दलील पर पीड़िता को कोर्ट से मिला सात लाख का मुआवजा।

23 जुलाई 2020

नरेन्द्र कुमार


नई दिल्ली: पीड़िता को कई बार बेचा गया, जिस्मफरोशी में धकेला गया, विरोध करने पर बच्ची के स्तन पर और मुँह में लगाई जाती थी लाल मिर्च। कोर्ट ने लिया कड़ा रुख। छोटी बच्चियों की तस्करी और जिस्मफरोशी करवाने के जुर्म में सोनू पंजाबन को द्वारका कोर्ट के जज प्रीतम सिंह ने 24 साल की सज़ा सुनाई।
कोर्ट में चली पेशी के दौरान घटना के वक्त 12 वर्षीय बच्ची की दर्दनाक कहानी कोर्ट के सामने आई। पीड़िता को पहले संदीप नामक व्यक्ति द्वारा किडनैप किया गया और उसके साथ बलात्कार किया। उसके बाद उसने बच्ची को एक महिला को बेच दिया जिसने उस बच्ची को जिस्म फरोशी में धकेला और उसके बाद कई बार बच्ची को बेचा गया। कुछ समय बाद उस बच्ची को सोनू पंजाबन को बेच दिया गया जिसने बच्ची को अलग अलग लोगों के पास भेजकर जिस्म फरोशी करवाई। बच्ची को 2-3 महीने अपने पास रखने के बाद उसने पीड़िता को लखनऊ में बेच दिया। 

कोर्ट में सोनू पंजाबन ने दलील दी कि उसे अपनी माँ और बच्चे का ध्यान रखना है इसलिए उसे रिहा कर दिया जाए। कोर्ट ने इन सभी दलीलों को नकारते हुए सोनू पंजाबन के ख़िलाफ़ फैसला सुनाया और साथ ही बच्ची को किडनैप करने वाले व्यक्ति संदीप के खिलाफ भी सज़ा सुनाई। 

कोर्ट ने कहा बच्चे इस देश का भविष्य हैं और इस देश का भविष्य कैसा होगा इस बात से तय होगा कि हम आज अपने बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। कोर्ट ने ये भी कहा कि पीड़िता द्वारा जो बातें बताई गई वो दहला देने वाली हैं। पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता रहा और जब वो विरोध करती तो उसके मुंह में और स्तन पर मिर्च लगा दी जाती एवं उसे जान से मारने की धमकी दी जाती। कोर्ट ने एडिशनल पब्लिक प्रासिक्यूटर योगेंद्र अदारी की दलीलों पे सख़्त रुख़ अपना के सोनू पंजाबन एवं संदीप को कोर्ट द्वारा सज़ा भी सुनाई गई है।

कोर्ट ने मामले को शर्मनाक बताते हुए किसी भी प्रकार की दया दिखाने से भी साफ इंकार किया। मामले में पीड़िता का पक्ष रख रही दिल्ली महिला आयोग की वकील ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता के साथ जिस समय ये घटना हुई, उस समय उसकी उम्र केवल 12 वर्ष थी न केवल बच्ची का पूरा बचपन उससे छीना गया।बल्कि उसे जीवन भर के ज़ख़्म दिए गए। इसके मद्देनजर पीड़िता के पुनर्वास के लिए कोर्ट से मुआवजे की अपील की गई। कोर्ट को बताया गया कि पीड़िता को दो लाख रुपये अंतरिम मुआवज़े के रूप में दिया गया था जिसके बाद कोर्ट ने अब इसके अतिरिक्त पीड़िता को सात लाख रुपये का मुआवज़ा देने की भी घोषणा करी है।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, "मैं कोर्ट का सोनू पंजाबन के प्रति सख़्त रुख़ का स्वागत करती हूँ। न जाने ऐसी कितनी मासूम बच्चियों को बेच दिया जाता है, जिस्मफरोशी में धकेल दिया जाता है। सोनू पंजाबन ने ऐसी अनगिनत बच्चियों के जीवन बर्बाद करें है। जिस वक्त इस पीड़िता बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ उस वक्त उसकी उम्र केवल 12 साल थी। उसे न जाने कितनी बार बेचा गया, उसके साथ बलात्कार किया गया। शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा। इस गुनाह के लिए तो जितनी सज़ा दी जाए उतनी कम है,कोर्ट में पीड़िता ने अपनी आपबीती सुनाई, इसे सुनकर शायद किसी का भी दिल दहल जाए। दिल्ली महिला आयोग की वकील ने पीड़िता की सहायता करी एवं पीड़िता को सात लाख रुपये का मुआवज़ा कोर्ट से दिलवाया गया। मानव तस्करी के खिलाफ देश में कड़े कानूनों की ज़रूरत है, जिससे ऐसा काम करने की कोई सोच भी न सके। 

पीड़िता अब 23 साल की है और इस वक़्त बेरोज़गार है। हम उसके पुनर्वास पर भी काम कर रहे हैं। मैं सबसे अपील करती हूँ की जो भी उसकी मदद के लिए सामने आना चाहता है वो हमको livingpositive@gmail.com पे ज़रूर सम्पर्क करे।”

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