Friday 24 April 2020

झांसी की रानी की तरह कोरोना महामारी के इस दौर में अपना फर्ज निभा रही है। देहरादून सिटी एस.पी.श्वेता चौबे,

25 अप्रैल 2020

नरेन्द्र कुमार


नई दिल्ली: हमने बचपन में एक झांसी की रानी को पढ़ा होगा। कविता के ये शब्द हर जुबांन में आज भी हैं- बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। जी हां दोस्तों, अंग्रेजों से झांसी की रानी को लड़ते हुए मैंने तो स्वयं देखा नहीं लेकिन उत्तराखंड की वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, देहरादून सिटी की एस.पी. श्वेता चौबे, कोरोना महामारी के इस दौर में तमाम तरह की जिम्मेदारी को ईमानदारी और मजबूती से निभा रही है। यही कारण है कि श्वेता चौबे का अधिकांश समय चुनौतीपूर्ण फील्ड के कामों में कटा है जबकि महिला पुलिस अधकारियों को बच्चों और परिवार की दोहरी जिम्मेदारी के चलते फील्ड वर्क का कम मौका मिल पाता है।
बचपन से मिलें हैं उनको ये संस्कार, खाकी से प्यार और खाकी वर्दी के माध्यम से जरूरतमंदों की सेवा का यह संस्कार श्वेता चौबे को बचपन से ही मिला है। बता दें कि श्वेता जी के पिताजी स्वयं एक आईएसएस अधिाकरी रहे हैं, इसी कारण श्वेता ने बचपन से घर का माहौल खाकीमय देखा और खाकी से कैसे किसी जरूरतमंद की मदद की जा सकती है यह बचपन से ही सीख लिया था। श्वेता चौबे के बारे में लिखने, उनकी जांबाजी के किस्से और उनके उत्कृष्ट कामों के उदाहरण देने के लिए बहुत कुछ हैं। उनकी यही कार्यप्रणाली जहां एक तरफ जनता के दिलों में उनके लिए जग बनाती है वहीं वो इन्हीं कारणों से अनेक लोगों की आंखों की किरकिरी भी सदैव बनी रहती हैं।
24 घंटे अलर्ट मोड पर काम कर रही है श्वेता चौबे इस समय हम बात करते हैं COVID-19, जिस कोरोना वायरस नामक महाप्रलय ने पूरे विश्व को हिला कर रखा हुआ है। इस बीमारी का आतंक इतना ज्यादा है कि आज दुनिया की 90 फीसदी आबादी लॉक डाउन का पालन करने को मजबूर है। किसी का इकलौता बेटा अगर बाहर घूम कर भी आया है तो मां-बाप कोरोना के खौफ से बेटे से दूरी बना कर रहने को मजबूर हैं। लोगों ने अपने घरों से काम करने वाले कर्मचारियों को हटा दिया है और इस दौर में स्वयं ही किचन से लेकर गार्डन तक काम में जुटे हुए हैं। हम भी स्वयं कोरोना के डर ना घर से बाहर जा रहे हैं और ना ही किसी बाहरी को अपने घर में आने दे रहे हैं।
कोरोना महामारी के इस दौर में देहरादून सिटी एस.पी.श्वेता चौबे अपना घर-परिवार, छोटे-छोटे बच्चों और 99 वर्ष की सास को घर पर छोड़कर 24 घंटे अलर्ट मोड पर डटी हुई है। श्वेता कभी सुबह 4 बजे तो कभी रात को 2 बजे तक सड़क पर जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए स्वयं मुस्तैद रहती हैं। आजकल कोरोना के चलते सरकारी नियम-विरूद्व आचरण करने पर जहां वो अत्यधिक सख्ती से पेश आ रही हैं वहीं दूसरी तरफ वो रोज ऐसे सैकड़ों लोगों के भोजन की व्यवस्था भी करवा रही हैं जिनके पास अब ना तो राशन बचा है और ना ही पैसे। 

श्वेता चौबे का अदांज सबसे निराला...हम हमेशा ही पुलिस वालों को कठोर समझते हैं। लेकिन श्वेता चौबे का अदांज उससे अलग है। वह नियम तोड़ने वाले सक्षम व्यक्ति से विन्रम होकर निवेदन करती हैं कि आप इतने गरीब लोगों को आज भोजन करवा दीजिए, या अपनी क्षमता अनुसार मास्क-सैनिटाइजर मंगवाकर वितरित कर दीजिए। देहरादून की इस एसपी सिटी श्वेता चौबे ने साबित कर दिया कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो किसी भी परिस्थिति में हर काम संभव है।
हमने इस बाबत एस.पी. सिटी श्वेता चौबे से फोन पर बात की तो उनका कहना है कि इस समय मैं अपना फर्ज निभा रही हूं। शासन-प्रशासन ने जो जिम्मेदारी मुझे दी है उसका निर्वहन करना मेरा फर्ज है। यहां देहरादून में राशन और खाने की जिम्मेदारी पुलिस के पास है। मैं सभी जगह जाकर उसकी मानिटरिंग कर रही हूं। हर जरुरतमंद तक राशन और खाना पहुंचे हमारी प्राथमिकता है। यहां बाहर के मजूदर है जिनकी जिम्मेदारी हमारी है। बहुत से बच्चे यहां होस्टल आदि में रह रहे हैं उनकी सुरक्षा और खाने की जिम्मेदारी है। अब यहां चार जगह हॉट स्पाट हैं उनकी विशेष निगरानी की जिम्मेदारी है। पूरी पुलिस टीम अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है।

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