Monday 7 October 2019

ई-सिगरेट कंपनी के फरेब का पर्दाफाश, कैसंर चिकित्सक ने लिखा ब्रिटेन की महारानी को पत्र।

8 अक्टूबर 2019

सीनियर फोटोग्राफर एवं रिपोर्टर
नरेन्द्र कुमार


नई दिल्ली: देश के प्रमुख कैंसर अस्पताल टाटा मेमोरियल के कैंसर विशेषज्ञ प्रो. पंकज चतुर्वेदी ने ब्रिटेन की महारानी को ई- सिगरेट के बारे में वहां के संस्थानों द्वारा जल्दबाजी में सिगरेट लॉबी को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए शोध पर चिंता जताते हुए उनमें बिना देर किए सुधार करने का आग्रह किया है। डॉ.चतुर्वेदी ने अपने महारानी को वहां के प्रधानमंत्री जॉनसन बोरिस के माध्यम से भेजे पत्र में महारानी को लोगों के प्रति किए गए उनके वादे को भी याद दिलाया है।

अपने पत्र में उन्होंने ने कहा है कि ईएनडीएस उर्फ तंबाकू लॉबी का मुख्य तर्क यह है कि पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा है कि ई सिगरेट सिगरेट की तुलना में 95 प्रतिशत अधिक सुरक्षित है। यहां तक कि रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन को बड़े पैमाने पर ईएनडीएस के समर्थन के रूप में उद्धृत किया गया है। यह उदाहरण डोरोथी हॉजकिन, आइजैक न्यूटन, अलेक्जेंडर फ्लेमिंग, रोजलिंड फ्रैंकलिन आदि के देश में ऐसी चीजें अकल्पनीय हैं।
कैंसर के डॉक्टर चतुर्वेदी ने कहा है कि ब्रिटेन में घटती सिगरेट की खपत के लिए ईएनडीएस को पूरा श्रेय देना अनुचित है, भले ही  वहां ऐसा हुआ हो। ईएनडीएस पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में यूके की तुलना में सिगरेट की खपत में गिरावट देखी गई है। ग्लोबल एडल्ट तंबाकू सर्वेक्षण 2016 के अनुसार भारत ने बिना किसी वैकल्पिक निकोटीन वितरण प्रणाली को बढ़ावा दिए, केवल 5 वर्षों में तंबाकू की खपत में 17 प्रतिशत की कमी का प्रदर्शन किया है।

डॉ.चतुर्वेंदी ने पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा प्रकाशित किए गए 95 प्रतिशत के इस जादुई आंकड़े का तंबाकू की लॉबी द्वारा लगातार शोषण किया जा रहा है, जो भारत सहित विकासशील देशों में एक और घातक लत है। इस आंकड़े के लेखकों ने माना कि हानिकारक धूम्रपान से संबंधित रसायनों की अनुपस्थिति ईएनडीएस को सुरक्षित बनाती है। उन्होंने (लेखकों) द्वारा इस तथ्य को नजर अंदाज कर दिया कि शुद्ध रूप में निकोटीन एक विषाक्त रसायन है जो एक वयस्क के लिए 30 मिली ग्राम मात्रा भी की घातक है।
पीएचई की कार्रवाई पर अफसोस जताते हुए भारतीय कैंसर विशेषज्ञ ने कहा कि उन्हें यह कहने में निराशा हो रही है कि पीएचई  ने पाठकों को या तो हितों के टकराव या सबूतों की खराब गुणवत्ता के बारे में सावधान नहीं किया। साथ ही वह अपने राष्ट्र के स्वास्थ्य और भलाई को सुरक्षित और बेहतर बनाने के अपने जनादेश में विफल रहा है। पारंपरिक सिगरेट पर ईएनडीएस की सुरक्षा की पूरी कहानी अब अब बिखर गई है। किशोर में वैपिंग की महामारी राज्य अमेरिका में हो रही एक अभूतपूर्व घटना है। पहले ही केवल 3 महीनों में अमेरिका में इसकी चपेट में आने से 12 लोगों की मौत हो चुकी है और और 800 से अधिक गंभीर फेफड़ों की चपेट में आ गए हैं।

तंबाकू का इतिहास डॉ.चतुर्वेदी ने महारानी को भारत में तंबाकू उद्योग का इतिहास याद दिलाते हुए बताया है कि वर्ष 1910 में, एक ब्रिटिश स्वामित्व वाली सिगरेट कंपनी कलकत्ता में इंपीरियल टोबैको कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड के रूप में पंजीकृत हुई। चूंकि सिगरेट उद्योग को अपने यूरोपीय बाजार के लिए बड़ी मात्रा में कच्ची तंबाकू की जरूरत थी, इसलिए इसने 1912 में भारत में तंबाकू की खेती को औपचारिक रूप दिया। इस ब्रिटिश कंपनी ने 1913 में भारत की पहली सिगरेट फैक्ट्री की स्थापना की थी। एक अनुमान के अनुसार, सिगरेट उद्योग पिछले 100 वर्षों में 230 लाख भारतीयों की अकाल मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको कंपनी भारत की प्रमुख सिगरेट निर्माता कंपनी आईटीसी लिमिटेड में एक प्रमुख निवेशक बनी हुई है। जबकि भारत के ब्रिटेन के भारत के योगदान की इस अप्रतिष्ठित विरासत को भारतीय अभी भी नहीं भूले हैं, जबकि इस मामले में फिर से ब्रिटिश संस्थानों ने बमबारी की है। हाल ही में भारत सरकार ने ई-सिगरेट या इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) को अकाट्य वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर प्रतिबंधित कर दिया है। प्रतिबंध का समर्थन करते हुए, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा “ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है ताकि नशे के इस नए रूप से हमारे जनसांख्यिकी रूप से युवा देश को नष्ट न करें। यह एक परिवार के सपनों को सिर्फ रौंदता ही नहीं।

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