24 दिसंबर 2018
सीनियर फोटोग्राफर
नरेन्द्र कुमार
नई दिल्ली: पूरे देश में 18 राज्यों में 60 से अधिक दिनों में 12,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की जाएगी। इस यात्रा को रवाना किए जाने के सिलसिले में आज राश्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के प्रेस क्लब आफ इडिया में समारोह का आयोजन किया गया।
इस अभियान के तहत जागरूकता वाहन दिल्ली- गुरुग्राम- करनाल- सोनीपत- मुंबई- पुणे- गोवा- बैंगलोर- चेन्नई हैदराबाद- कोलकाता- गुवाहाटी- पटना- लखनऊ- ग्वालियर- आगरा- नोएडा आदि जैसे क्षेत्रों से गुजरेगा। इस पूरी पहल का उद्देष्य भारत को जागरूक करना है और कुष्ठ रोग और सफेद दाग जैसी त्वचा और बाल की समस्याओं के बारे में मिथकों और तथ्यों से अवगत कराना है।
आईएडीवीएल पीपुल कनेक्ट सेल के अध्यक्ष डॉ. रोहित बत्रा ने कहा, ‘‘लोग अक्सर अपने निजी उद्देश्यों के लिए होने वाली राजनीतिक दलों की ’यात्रा’ के बारे में सुनते रहते हैं।लेकिन यहां स्किन सफर रथ एक महत्वाकांक्षी गतिविधि है जो 60 दिनों तक चलेगी और भारत में 18 राज्यों को कवर करते हुए लगभग 12,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी इसका उद्देश्य त्वचा के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना है और यह सुनिश्चित करना है कि योग्य त्वचा विशेषज्ञ किसी भी त्वचा की समस्या के लिए सही व्यक्ति है।
हमने रथ पर एलईडी स्क्रीन लगाने की योजना बनाई है जिस पर आम जनता में उनकी अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए शैक्षिक वृत्तचित्र और नुक्कड़ नाटक दिखाया जाएगा। वे लोगों को मुँहासे, फंगल संक्रमण, कुष्ठ रोग, विटिलिगो और त्वचा की अन्य समस्याओं के बारे में जागरूक करेंगे।आईएडीवीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. मुकेश गिरधर ने कहा, ‘‘ल्यूकोडरर्मा के सामान्य नाम से जानी जाने वाली विटिलिगो त्वचा की बीमारी है जिसमें आपके शरीर कीं स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
विटिलिगो दुनिया भर में लगभग 0.5 प्रतिषत से एक प्रतिषत लोगों को प्रभावित करती है लेकिन भारत में इसका प्रसार काफी अधिक 3 प्रतिषत है और यहां इस बीमारी को लेकर कई मिथ्या भी प्रचलित है। यह बीमारी किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है,लेकिन विटिलिगो से प्रभावित करीब आधे लोगों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही हो जाती है और करीब 95 प्रतिषत लोगों में यह 40 वर्ष से पहले होती है। यह दोनों लिंग, सभी नस्लों और सभी जातियों को प्रभावित करती है। विभिन्न लोगों में रोग की प्रवृत्ति अलग-अलग होती है। विटिलिगो से संबंधित कई मिथकों के कारण इससे प्रभावित लोगों का अक्सर बहिष्कार किया जाता है विटिलिगो व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित नहीं करता है। यह सामाजिक कलंक है। जिसे दूर करने की आवश्यकता है और इस संबंध में जागरूकता जरूरी है।
’’कुष्ठ रोग, विटिलिगो और अन्य त्वचा संक्रमण आदि के खिलाफ समाज में काफी गलत धारणाएं मौजूद हैं। भारत वर्तमान में दुनिया में सबसे बड़ा कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम ’राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) चला रहा है कुष्ठ रोग हो जाने के बाद लोगों को समाज से बहिश्कार कर दिया जाता है। नौकरी से निकाल दिया जाता है और कभी-कभी तो उन्हें उचित मकान मिलने में भी परेशानी हो सकती हैं। (आईएडीवीएल अब एनएलईपी) में आधिकारिक भागीदार है इसने (एनएलईपी और डब्ल्यूएचओ) के साथ एक दिवसीय संगोष्ठी (25 अगस्त) का भी आयोजन किया और कुष्ठ रोग से निपटने के लिए रणनीतिक योजना बनायी। कुष्ठ रोग पर उपलब्ध आंकड़ों के बारे में बात करते हुए। आईएडीवीएल के संयुक्त सचिव डॉ. दिनेश कुमार देवराज ने कहा, ‘‘लेप्रोसी केस डिटेक्शन कम्पेन (एलसीडीसी) के कारण भारत में वर्तमान में प्रति 10 हजार व्यक्ति में से 0.66 व्यक्ति को कुष्ठ रोग है। कुश्ठ रोग से अधिक प्रभावित क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। इसलिए अब यह नियंत्रण में है।
सीनियर फोटोग्राफर
नरेन्द्र कुमार
नई दिल्ली: पूरे देश में 18 राज्यों में 60 से अधिक दिनों में 12,000 किलोमीटर की यात्रा पूरी की जाएगी। इस यात्रा को रवाना किए जाने के सिलसिले में आज राश्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के प्रेस क्लब आफ इडिया में समारोह का आयोजन किया गया।
इस अभियान के तहत जागरूकता वाहन दिल्ली- गुरुग्राम- करनाल- सोनीपत- मुंबई- पुणे- गोवा- बैंगलोर- चेन्नई हैदराबाद- कोलकाता- गुवाहाटी- पटना- लखनऊ- ग्वालियर- आगरा- नोएडा आदि जैसे क्षेत्रों से गुजरेगा। इस पूरी पहल का उद्देष्य भारत को जागरूक करना है और कुष्ठ रोग और सफेद दाग जैसी त्वचा और बाल की समस्याओं के बारे में मिथकों और तथ्यों से अवगत कराना है।
आईएडीवीएल पीपुल कनेक्ट सेल के अध्यक्ष डॉ. रोहित बत्रा ने कहा, ‘‘लोग अक्सर अपने निजी उद्देश्यों के लिए होने वाली राजनीतिक दलों की ’यात्रा’ के बारे में सुनते रहते हैं।लेकिन यहां स्किन सफर रथ एक महत्वाकांक्षी गतिविधि है जो 60 दिनों तक चलेगी और भारत में 18 राज्यों को कवर करते हुए लगभग 12,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी इसका उद्देश्य त्वचा के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना है और यह सुनिश्चित करना है कि योग्य त्वचा विशेषज्ञ किसी भी त्वचा की समस्या के लिए सही व्यक्ति है।
हमने रथ पर एलईडी स्क्रीन लगाने की योजना बनाई है जिस पर आम जनता में उनकी अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए शैक्षिक वृत्तचित्र और नुक्कड़ नाटक दिखाया जाएगा। वे लोगों को मुँहासे, फंगल संक्रमण, कुष्ठ रोग, विटिलिगो और त्वचा की अन्य समस्याओं के बारे में जागरूक करेंगे।आईएडीवीएल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. मुकेश गिरधर ने कहा, ‘‘ल्यूकोडरर्मा के सामान्य नाम से जानी जाने वाली विटिलिगो त्वचा की बीमारी है जिसमें आपके शरीर कीं स्वस्थ कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
विटिलिगो दुनिया भर में लगभग 0.5 प्रतिषत से एक प्रतिषत लोगों को प्रभावित करती है लेकिन भारत में इसका प्रसार काफी अधिक 3 प्रतिषत है और यहां इस बीमारी को लेकर कई मिथ्या भी प्रचलित है। यह बीमारी किसी भी उम्र में शुरू हो सकती है,लेकिन विटिलिगो से प्रभावित करीब आधे लोगों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही हो जाती है और करीब 95 प्रतिषत लोगों में यह 40 वर्ष से पहले होती है। यह दोनों लिंग, सभी नस्लों और सभी जातियों को प्रभावित करती है। विभिन्न लोगों में रोग की प्रवृत्ति अलग-अलग होती है। विटिलिगो से संबंधित कई मिथकों के कारण इससे प्रभावित लोगों का अक्सर बहिष्कार किया जाता है विटिलिगो व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित नहीं करता है। यह सामाजिक कलंक है। जिसे दूर करने की आवश्यकता है और इस संबंध में जागरूकता जरूरी है।
’’कुष्ठ रोग, विटिलिगो और अन्य त्वचा संक्रमण आदि के खिलाफ समाज में काफी गलत धारणाएं मौजूद हैं। भारत वर्तमान में दुनिया में सबसे बड़ा कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम ’राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) चला रहा है कुष्ठ रोग हो जाने के बाद लोगों को समाज से बहिश्कार कर दिया जाता है। नौकरी से निकाल दिया जाता है और कभी-कभी तो उन्हें उचित मकान मिलने में भी परेशानी हो सकती हैं। (आईएडीवीएल अब एनएलईपी) में आधिकारिक भागीदार है इसने (एनएलईपी और डब्ल्यूएचओ) के साथ एक दिवसीय संगोष्ठी (25 अगस्त) का भी आयोजन किया और कुष्ठ रोग से निपटने के लिए रणनीतिक योजना बनायी। कुष्ठ रोग पर उपलब्ध आंकड़ों के बारे में बात करते हुए। आईएडीवीएल के संयुक्त सचिव डॉ. दिनेश कुमार देवराज ने कहा, ‘‘लेप्रोसी केस डिटेक्शन कम्पेन (एलसीडीसी) के कारण भारत में वर्तमान में प्रति 10 हजार व्यक्ति में से 0.66 व्यक्ति को कुष्ठ रोग है। कुश्ठ रोग से अधिक प्रभावित क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। इसलिए अब यह नियंत्रण में है।
Great Narender Bhai ji
ReplyDeleteHaryana Main Rohtak ko bhi isme Jod dete
Sandeep Kumar
sktigraniya@gmail.com