Friday 7 December 2018

BSF के 54 वे वर्ष प्रवेश के अवसर पर सीमा सुरक्षा बल राष्ट्र को समर्पित अपनी विशिष्ट और यशस्वी सेवा के 53 वर्ष पूरा किया।

07 दिसंबर 2018


नई दिल्ली:- 01 दिसंबर 2018 को सीमा सुरक्षा बल राष्ट्र को समर्पित अपनी विशिष्ट और यशस्वी सेवाओं के 53 वर्ष पूरा किया। BSF ने अपने उदय के वक्त से ही इस बल ने सीमाओं की सुरक्षा सहित अन्य आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों, उग्रवाद -आतंकरोधी अभियानों और माओरोधी अभियानों में अपनी अप्रतिम और यथार्थपरक सेवाओं के दम पर अपना इतिहास स्वयं रचा है। इस बल के पेवर दृटिकोण और दायित्व निर्वाह की अनुपम क्षमता को ध्यान में रखते हुए ही वर्तमान गृह मंत्री जी ने इसे ‘सुरक्षा की पहली दीवार’ की सम्मानजनक संज्ञा से विभूात किया है।

 हम सीमा सुरक्षा बल सदस्यों ने, सीमावासियो का सहयोग प्राप्त करते हुए, मानवाधिकारों के सम्मान सहित अपने साहस और प्रतिबद्धता से सीमाओ को रक्षित रखा है।गठन के 54 वे वर्ष में प्रवेश के अवसर पर हम सीमा सुरक्षा बल सदस्य अपने ध्येय वाक्य "जीवन पर्यंत कर्तव्य"पर निरन्तर चलते रहने का प्रण उठाते हुए तथा और अधिक शक्ति एवं शौर्य के साथ अपनी सेवाओं के निर्वाह का संकल्प लेते है। एवं अपनी सेवाएं राष्ट्र को पुर्नसमर्पित करते है।


आज इस अवसर पर सीमा सुरक्षा बल अपने उन 1879 बलिदानी वीरों का स्मरण करता है और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है, जिन्होंने कर्तव्य की वेदी पर अपने प्राणों की आहुति दी एवं वीरगति को प्राप्त हुए। सीमा प्रहरियों के इस सर्वोच्च बलिदान और कार्य को विधिवत मान्यता प्रदान करते हुए भारत सरकार ने इन्हें 01 महावीर चक्र, 13 वीर चक्र, 04 कीर्ति चक्र, 13 ार्य चक्र, 232 वीरता के लिये राट्रपति पुलिस पदकों और 921 वीरता पुलिस पदकों से सम्मानित किया है। ये सम्मान हम सीमा प्रहरियों के लिये गौरव का विय हैं। इस साल भी गणतंत्र और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 114 सीमा प्रहरियों को पदकों से सम्मानित किया गया। इनमें से 11 सीमा प्रहरियों को ‘वीरता के लिये पुलिस पदक’ से, 09 सीमा प्रहरियों को ‘विाट सेवा के लिये राट्रपति पुलिस पदक’ से और 94 सीमा प्रहरियों को ‘सराहनीय सेवा के लिये पुलिस पदक’ से सम्मानित किया गया।


माओवादियों का पकड़ा जाना और उनका आत्मसमर्पण - नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की स्थानीय जनता की भावनाओं और आचार का ध्यान रखते हुए सीमा सुरक्षा बल अत्यंत ही सावधानीपूर्वक और व्यापक तरीके से नक्सलरोधी अभियानों को संचालित कर रहा है। इससे लोग माओवादी प्रभाव से दूर हो रहे हैं। राज्य की समर्पण नीति के सफल क्रियान्वयन और आत्मसमर्पण को प्रेरित करने वाले बल के अभियान लोगों में विवास का वातावरण पैदा कर रहे हैं जिससे माओवादी दुप्रचार कमजोर हो रहा है और उनके नेतृत्व की जड़ें खोखली हो रही हैं।


सीमाओं सहित अन्य किसी भी स्थान पर संचालित किये जाने वाले अभियानों में कम्युनिकेन रीढ़ की हड्डी जैसी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है। पिछले कुछ दाकों से कम्युनिकेन प्रणाली एनालॉग सिस्टम का उपयोग कर रही है। एनालॉग प्रणाली की विाता है कि इसमें इंटेग्रेन और अप्लीकेन फीजिबल नहीं हैं। इस असुविधा को ध्यान में रखते हुए सीमा सुरक्षा बल ने इस क्षेत्र में पहल की है और डिजिटिलाइजेन की प्रक्रिया ारू की है। आई.पी.आधारित DMR, Communication, ने कम्युनिकेन के क्षेत्र में संभावनाओं के नये द्वार खोले हैं और पहले से मौजूद प्रणालियों एवं नूतन प्रणालियों के समन्वय से इस क्षेत्र में क्रांति का प्रादुर्भाव हुआ है। यह सिस्टम बल के लिये बहुउपयोगी सिद्ध हो रहा है।


परीक्षण: सीमा सुरक्षा बल में प्रिक्षण का एक विकसित तंत्र है। इस बल के पास भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त उच्च कोटि के पांच प्रिक्षण संस्थान हैं जिन्हें कमांडो, यांत्रिक परिवहन, आयुध, युद्ध कौल, वान प्रिक्षण सहित बम निस्तारण एवं वान प्रिक्षकों को प्रिक्षण देने में महारत हासिल है। हमारे ये प्रिक्षण केंद्र अपने सदस्यों को प्रिक्षित तो करते ही हैं, दूसरे बलों के सदस्यों को भी प्रिक्षित किया करते हैं -


खेल जगत की उपलब्धियां-गठन के वक्त से ही सीमा सुरक्षा बल के खेलों के प्रर्दान का रिकॉर्ड उत्कृट रहा है। इस बल में एक स्वस्थ खेल संस्कृति लगातार ही कार्य करती है, जिससे उत्प्रेरित हो इस बल के खिलाड़ी खेल जगत में उत्कृट प्रर्दान करते रहे हैं। खेल जगत ने इस बल को 1 पद्मश्री, 1 द्रोणाचार्य, 17 अर्जुन और 2 नेनल एडवेंचर सम्मान दिये हैंं जो इसकी समृद्ध खेल विरासत की बानगी प्रस्तुत करते हैं। इस साल भी अखिल भारतीय पुलिस खेल प्रतियोगिताओं में इस बल ने 10 प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान, 08 प्रतियोगिताओं में द्वितीय और 01 प्रतियोगिता में तृतीय स्थान प्राप्त कर केंद्रीय सास्त्र पुलिस बलों और राज्य पुलिस बलों के बीच अपना परचम लहराया।नेशनल चैम्पियन में बल के खिलाड़ियों ने 08 स्वर्ण, 08 रजत और 12 कांस्य पदक प्राप्त कर अपना दबदबा कायम रखा। इसके साथ ही 10 खिलाड़ियों ने अंतर्राट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया जिनमें बल खिलाड़ियों ने 2 स्वर्ण और 5 कांस्य पदक जीते।




सीनियर फोटोग्राफर
नरेन्द्र कुमार

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