Tuesday 17 March 2020

"दिल्ली महिला आयोग" ने अन्य राज्यों से दिल्ली लाए गए 5 बच्चों को प्लेसमेंट एजेंसी से रेस्क्यू करवाया।

17 मार्च 2020

नरेन्द्र कुमार


नई दिल्ली:"दिल्ली महिला आयोग" ने सोमवार देर रात दिल्ली के निहाल विहार इलाके से 5 अन्य राज्यों से आए बच्चों को एक प्लेसमेंट एजंसी से रेस्क्यू करवाया जो कि उत्तर प्रदेश, ओड़िसा और छत्तीसगढ़ से दिल्ली लाए गए थे। दिल्ली महिला आयोग की 181 हेल्पलाइन पर क्षेत्र में काम करने वाली एक NGO ने कॉल करके बताया कि चंद्र विहार की एक प्लेसमेंट एजेंसी में छोटे बच्चों को काम पर लगवाने के लिए अवैध रूप से रखा गया है। दिल्ली महिला आयोग की टीम तुरन्त मौके पर पहुंची और वहां पहुंचकर पुलिस को भी सूचित किया। पुलिस की मौजूदगी में महिला आयोग की टीम दिए गए पते पर पहुंची और बड़ी देर तक दरवाजा खटकाने के बाद ऑफिस का दरवाजा खोला गया। दरवाज़ा खुलने पर टीम ने पाया कि 7 बच्चे उस प्लेसमेंट एजेंसी में रह रहे थे। और बच्चों सहमे हुए थे और ज़्यादा बोल नहीं पा रहे थे। बच्चों के साथ ऑफिस में ललिता नामक प्लेसमेंट एजेंसी की मालकिन भी मौजूद थी।
बच्चों और प्लेसमेंट एजेंसी की मालकिन को लेकर पुलिस और आयोग की टीम निहाल विहार पुलिस स्टेशन पहुंची। देर रात दिल्ली महिला आयोग अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने भी पुलिस स्टेशन में बच्चों की कॉउंसलिंग की और बच्चों से बात करके पता चला कि उनमें से एक बच्चा 13 साल का है, जो उन्नाव का रहने वाला है और अनाथ है। उसकी बुआ ने उसे दिल्ली यह कहकर भेजा था कि ये लोग तुम्हारी पढ़ाई के लिए दिल्ली लेकर जा रहे हैं। वो बच्चा पिछले 1 महीने से वहीं रह रहा था। सबसे छोटी बच्ची की उम्र 5 साल है और सुंदरगढ़ ज़िले की रहने वाली है। बच्ची ने बताया कि वो 2 दिन पहले अपनी माँ के साथ दिल्ली आई थी और उसकी माँ ही उसे यहां छोड़कर गयी है। इसके अलावा 2 बच्चे अपनी भाभी के साथ दिल्ली घुमाने के नाम पर दिल्ली लाए गए थे। रेस्क्यू करवाई गई एक 20 साल की लड़की ने बताया कि वो दिल्ली में 1 साल से काम कर रही थी और उसे अपने घर पर कभी कभी ही बात करवाई जाती थी। उसकी तनख्वाह भी पूरी नहीं मिली थी। 

"दिल्ली महिला आयोग" की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने देर रात निहाल विहार पुलिस स्टेशन पहुंचकर बच्चों से बात करी और उनकी काउंसलिंग की सभी बच्चों से बात करके पता लगा कि उनको बहला फुसलाकर दिल्ली लाया गया था। प्लेसमेंट एजेंसी की मालकिन का पति बलात्कार के मामले में पहले से ही जेल में बंद है। बच्चों को दिल्ली लाकर घरों में काम करने के लिए लगाया जाता था। हालांकि बच्चों ने किसी प्रकार की शारीरिक शोषण की बात आयोग और पुलिस को अब तक नहीं बताई है। सभी बच्चों की मेडिकल जांच करवाने के बाद उन्हें शेल्टर होम में भेजा गया। बच्चों को चाइल्ड वेलफेयर समिति के सामने प्रस्तुत किया गया है। 
DCW की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा,"प्लेसमेंट एजेंसी के नाम पर दिल्ली में मानव तस्करी का बहुत बड़ा रैकेट चलाया जा रहा है। छोटे छोटे शहरों और गांवों से  बच्चों को बहला फुसलाकर दिल्ली लाया जा रहा है और उन्हें घरों पर काम पर लगाया जा रहा है। इस केस में रेस्क्यू करवाए गए बच्चे इतने छोटे हैं जो अपने परिवार, अपनी उम्र के बारे में भी ठीक से नहीं बता पा रहे। इस नन्हीं से उम्र में इन बच्चों को मजदूरी में झोंका जा रहा है। ये बर्दाश्त के बाहर है और हमारी सभी सरकारों से अपील है कि जल्द से जल्द इन प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए सख्त कानून बनाए जाएं। हम चाहते हैं पुलिस जल्द से जल्द FIR दर्ज करे अपराधियों को अरेस्ट करे और बच्चों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाया जाए। इसके अलावा जो बच्चे अनाथ हैं उनके भी पुनर्वास पर काम करने की ज़रूरत है"

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