Sunday 20 May 2018

(RLSP)राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, ने न्यायपालिका में समावेशिता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए हल्ला बोल-दरवाजा खोल अभियान शुरू किया।

20, मई 2018
नई दिल्ली:-

 भारतीय न्यायिक व्यवस्था में सुधार हेतु जागरूकता पैदा करने और भारतीय न्यायिक प्रणाली में समावेशिता बढ़ाने के लिए, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी राष्ट्रव्यापी अभियान "हल्ला बोल, दरवाजा खोल" का आयोजन आज कंस्टीट्यूशन क्लब नई दिल्ली में हुआ।

इस कार्यक्रम में पूर्व जस्टिस बिश्वेशर प्रसाद सिंह (सुप्रीम कोर्ट), पूर्व जस्टिस मूलचंद गर्ग ( दिल्ली हाईकोर्ट) , सविंधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप इत्यादि के साथ ही राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के पधाधिकारी एवं कार्यकर्त्ता भी उपस्थित रहे।

 इस ‘हल्ला बोल- दरवाज़ा खोल’ अभियान का उद्देश्य भारतीय न्यायपालिका में बदलाव लाने के लिए एक सतत अभियान की शुरूआत करना है जिससे इस प्रणाली को समावेशी और अपारदर्शी बनाया जा सके
राष्र्टीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष और वर्तमान केंद्र सरकार के मानव संसाधन राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा, ने इस अभियान के शुरू करने के कारण को बताते हुए कहा कि “हमारी न्यायिक व्यवस्था में समावेशिता की कमी चिंता का विषय है।

भारतीय न्यायपालिका में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाएं और अन्य वंचित समूहों का कम प्रतिनिधित्व न्यायिक प्रणाली में समाज के इन वर्गों के विश्वास की कमी को बढ़ाता है जो संस्थान के लिए अच्छा नहीं है, न्यायाधीश की नियुक्तियों के कॉलेजियम सिस्टम की समीक्षा की जरूरत है|"
उन्होंने आगे कहा की यह अभियान सिर्फ एक पार्टी का नहीं है और यह कोई चुनावी वोट जुटाने की प्रक्रिया भी नहीं है।

इस अभियान में अन्य पार्टी के लोगों का स्वागत है जिससे भारतीय न्यायिक व्यवस्था का लोकतंत्रीकरण किया जा सके 
अभियान के बारे में चर्चा करते हुए पार्टी के महासचिव श्री माधव आनंद, ने कहा कि  “भारतीय न्यायिक प्रणाली परीक्षण के समय से गुज़र रही है। जबकि एक तरफ़  बहुत सारी चुनौतियाँ हैं जैसे बहुत ज्यादा लंबित मामले, न्याय में देरी, कथित पारदर्शिता में कमी, और दूसरी तरफ़ सुधारों के लिए बड़ी गुंजाइश है जो भारतीय न्यायिक प्रणाली को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बना सकती है ”

विशेष रूप से न्यायिक नियुक्तियों में पर्याप्त पारदर्शिता की कमी न्यायपालिका के प्रमुख सदस्यों द्वारा भी उठाई गई है। उनमें से प्रमुख रूप से एक न्यायमूर्ति चेलेश्वर है जिन्होंने सभी को देखने के लिए जनता में मूल्यांकन रिकॉर्ड रखने का आह्वान किया था।
यहां उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायपालिका में आरक्षण के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिसके कारण वंचित श्रेणियों के न्यायाधीशों का अनुपात बहुत कम रहा है।

नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, महिलाएं पूरी न्यायिक व्यवस्था में केवल 10.4% ही हैं। सुप्रीम कोर्ट में उनकी संख्या सिर्फ एक है। इसी प्रकार, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के न्यायाधीश अदालत में लगभग 12% की हिस्सेदारी रखते हैं। यह संख्या उनकी आबादी के अनुपात में बहुत कम है।

कार्यक्रम में शामिल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बिश्वेशर प्रसाद ने कहा कि  “ भारत के न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। जो भारतीय संविधान के अनुसार होता है | यदि इस प्रक्रिया में आपको कोई दोष दिखाई देता है तो आप लोग इसे पारदर्शी बनाने के लिए अपने सुझाव दीजिये ”
आगे सविधान विशेषज्ञ  सुभाष कश्यप ने कोलेजियम सिस्टम के बारे में बात करते हुए बताया कि  “ नियुक्तियां सविधान के अनुसार कदापि नहीं हो रहीं हैं।

न्यायपालिका अपने नए सविंधान को बनाने की कोशिश कर रही है। आज वर्तमान समय में 3.5 करोड़ केस न्यायालयों में लंबित पड़े हैं और इस कलेजियम व्यवस्था के बाद भी जजों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। सुप्रीम कोर्ट अपनी निचली अदालतों के लिए सुप्रीम है ना की संविधान की सुप्रीम है ”
इस अभियान में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ ही समाज के विभिन्न तबकों के लोक शामिल हो इस अभियान को आगे ले जाने की बात की
श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने सभी लोगों को धन्यवाद देते हुए उनके इस लड़ाई में सभी दलीय बन्धनों से मुक्त हो कर साथ देने के लिए आह्वाहन किया।



सीनियर फोटोग्राफर एवं रिपोर्टर
नरेन्द्र कुमार

No comments:

Post a Comment

थाना साउथ रोहिणी के स्टाफ ने चोरी की स्कूटी और चाकू सहित अपराधी को धर दबोचा।

07 अगस्त 2022 नरेन्द्र कुमार नई दिल्ली:15 अगस्त को ध्यान में रखते हुए दक्षिण रोहिणी क्षेत्र में सड़क अपराध को रोकने के लिए, एसीपी अर्जुन सिं...