31,मई 2018
नई दिल्ली:-
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने वरिष्ट अधिकारियों के साथ कानून एवं व्यवस्था की मीटिंग की गई। जांच एवं सामान्य कानून व्यवस्था के लिए अलग-अलग पूल बनाने की प्रगति की समीक्षा की। इस मीटिंग में मुख्य सचिव, दिल्ली, प्रधान सचिव, गृह, पुलिस आयुक्त, दिल्ली, प्रधान सचिव, कानून, आयुक्त, परिवहन, एवं विशेष व संयुक्त आयुक्त, दिल्ली पुलिस उपस्थित थे।
दिल्ली पुलिस ने इस संबंध में एक विस्तृत प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया जिसमें सभी प्रासंगिक न्यायिक घोषणाओं एवं विभागीय स्थायी आदेश एवं सर्कुलर शामिल थे। यह भी बताया गया कि WP (civil) सं. 310/1996,
प्रकाश सिंह एवं अन्य बनाम यूनियन आफ इंडिया (जोकि जांच पड़ताल को कानून व्यवस्था से अलग करने से संबंधित है)के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का आदर करते हुए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने उपराज्यपाल महोदय को सूचित किया कि महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों की जांच को प्राथमिकता दी जा रही है। यदि जांच 20 दिन के अन्दर पूरी नहीं होती है। तो संयुक्त पुलिस आयुक्तों /रेंज एवं विशेष पुलिस आयुक्तों, कानून व्यवस्था को प्राथमिकता के आधार पर सूचित किया जाता है। अभी तक बलात्कार के मामलों, पौक्सो ( POCSO ) के मामलों एवं महिलाओं के विरूद्ध अन्य अपराधों के मामले की जांच विशेषतः सब-इंस्पेक्टर स्तर तक, महिला निरीक्षण अधिकारियों को सुपुर्द किया जाता था।
विशेष पुलिस आयुक्त/अपराध के अधीन एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है जो अनुसूचित जातियों/जनजातियों एवं पौक्सो (POCSO) अधिनियम के अन्तर्गत मामलों की निगरानी करेंगे।
यह भी सूचित किया गया कि दिल्ली पुलिस ने प्रत्येक सब-डिविजन में ACP/ SDPO को नोडल आफिसर के रूप में तैनात किया गया है। जो महिलाओं के प्रति अपराध की निगरानी आरंभ से करेंगे जैसे: FIR दर्ज करना, जाचं एवं चार्जशीट दाखिल करना आदि। इस काम के लिए उन्हें एक महिला इंस्पेक्टर द्वारा सहयोग किया जाएगा।
उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अविलम्ब FSL एवं अभियोजन शाखा की सुविधाएं बढ़ाने और उनकी कार्य क्षमता सुधारने के निर्देश दिए।
उपराज्यपाल महोदय ने संयुक्त पुलिय आयुक्तों एवं रेंज के स्तर पर इन हाउस लीगल सेल बनाने का भी सुझाव दिया जो मामलों के प्रभावी मूल्यांकन एवं उनकी निगरानी कर उनकी त्रुटियों को दूर करेंगे।
अंत में उपराज्यपाल ने जांच अधिकारियों को विशेष रूप से महिलाओं के प्रति अपराधों एवं पौक्सों (POCSO)के अन्तर्गत मामलों को जल्द निपटाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि मामलों के संवेदनशील तरीके से निपटाने से पीड़ितों की मदद हो सकती है और वे जांच में सहायता कर सकते हैं। जिससे मामला निष्कर्ष तक तेजी से पहुंच सके।
सीनियर फोटोग्राफर एवं रिपोर्टर
नरेन्द्र कुमार