Tuesday 15 June 2021

भाई, बहन ने मिलकर बचाई पक्षी की जान। इसे कहते "जीव रक्षा से बड़ा कोई धर्म नहीं।

15 जून 2021

नरेन्द्र कुमार,


नई दिल्ली: बेजुबान परिंदों की सेवा करना मनुष्य का धर्म है, क्यूंकि ये परिंदे भूखे रहकर भी इंसानों को अपनी भूख नहीं बता पाते, लेकिन नवजात शिशु को जब कोई बडा पक्षी अपना भोजन बनाने के लिए दबोच ले, तो उससे भी इनकी रक्षा करना मानव का धर्म है।
प्रातः यमुना खादर, तीसरे पुस्ते रोड़ पर चील ने कबूतर के घौंसले से एक नवजात शिशु को अपने पंजों में दबा लिया और उड़ने लगा, तभी वहां से गुजर रहे भाई बहन नमन शर्मा व शुभांगी शर्मा (शेरी) ने किसी तरह उस चील के पंजे से इस बच्चे को बचा लिया और बच्चा चील के पंजे से छूटकर नीचे गिर गया और तड़पने लगा।
हालांकि दोनों बच्चों ने कभी परिंदो को हाथ से पकड़ा नही था, लेकिन उस नवजात शिशु की जान किसी तरह बच सके, इसलिए दोनों ने एक प्लेट में बच्चे को बैठाया,घर लाए और घर से मोटरसाइकिल निकाल कर तुरंत चांदनी चौक श्री जैन लाल मंदिर स्थित पक्षियों के अस्पताल में उसे ले गए, जहां वहां पर बैठे डाक्टर ने तुरंत उस कबूतर के बच्चे को देखा,जो गंभीर हालत में था। डाक्टर ने पक्षी को चेक करके बताया, कि आप ठीक समय पर इसे यहां ले आए, यदि थोड़ी देर और हो जाती तो शायद यह पक्षी जिंदा नही रहता।
अस्पताल के अटैंडेंट ने इस नन्हे पक्षी को पिंजरे में रख दिया और बकायदा मुझे उसका गार्जियन बताते हुए एक पर्ची दी और मेरे हस्ताक्षर करवाए, सचमुच आज मुझे और मेरी बहन को इतनी आत्मिक संतुष्टि मिली,कि चलो एक पक्षी की जान बचा ली,साथ ही चीले भी भूखी होगी, उनके लिए भी पांच किलो बेसन का गाठिया खरीदकर वहां डालकर आए बहरहाल, प्रत्येक मनुष्य को बेजुबान परिंदों की सेवा करने व उनकी रक्षा करने के लिए आगे आना चाहिए।

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