Friday 25 March 2022

बैंक के 06 कर्मचारियों पर दर्ज होगी FIR रोहिणी कोर्ट ने दिया आदेश,

25 मार्च 2022


नरेन्द्र कुमार,



नई दिल्ली: (अमित लाल)  दिल्ली सरकार का स्टेट कोआपरेटिव बैंक और उसके चेयरमैन समेत छह बैंक अधिकारीयों पर रोहिणी कोर्ट ने 20 लाख के अजीबोग़रीब गबन मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अजीबोग़रीब इसलिए क्यूंकि पांच साल पहले हुआ यह बैंक घोटाला दअसल एक तरह का विश्वासघात था। इस बैंक से मैनेजर रिटायर्ड सत्यवीर खत्री की पत्नी का खाता उन्हीं की बैंक (यानि जिस बैंक से पीड़िता के पति रिटायर्ड हुए थे) के नरेला ब्रांच में था।
30 मई 2016 को बैंक की ब्रांच मैनेजर राजेश बाला दहिया, क्लर्क हरीश सरोहा और अकाउंटेंट पुष्पा ने मिलकर कृष्णा खत्री के खाते से 20 लाख की रकम निकाल किसी अन्य खाताधारक सुनीता सिंह के खाता में क्रेडिट कर दी। इतना ही नहीं उसी दिन सुनीता सिंह के खाते से उस रकम को एफडी यानि फिक्स्ड डिपॉजिट में परिवर्तित कर दिया गया। खाता धारक का भाई यानी आरोपी संख्या 3 गजेन्द्र सिंह चौहान इसी बैंक के मुख्य शाखा में मैनेजर इस्टैब्लिशमेंट के तौर पर कार्यरत है।
इस तरीके से पहले तो पीड़िता के खाते को गलत डेबिट किया गया और तकरीबन दस महीने बाद किसी तीसरे खाताधारक ईश्वर सिंह के खाते से 20 लाख 68 हजार 420 रूपये बिना जानकारी क्रेडिट कर दिए और ब्रांच मैनेजर स्वाति महाजन ने पीड़िता को झूठा क्रेडिट इंटरेस्ट सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया। परन्तु तीसरे खाताधारक ईश्वर सिंह की शिकायत पर बैंक में झूठी आंतरिक जाँच करके नरेला पुलिस को FIR, के लिए लिखित एप्लिकेशन भी जमा करवा दी। यानि एक तरफ बैंक ने पीड़ित महिला के खाता में 20 लाख 68 हजार 420 रूपये वापस भी कर किया और फिर खुद ही उसी रकम के गायब होने की इन्क्वायरी करके बैंक ने पुलिस में लिखित शिकायत भी दे दी।

यानि पीड़िता के खाते को गलत डेबिट भी कर दिया। इसके बाद पीड़ित पक्ष बार-बार बैंक से इस एंट्री को रोट्रैटे यानि ठीक करने का निवेदन करता रहा परन्तु बैंक ने इसी बीच एक आंतरिक जाँच करके बिना किसी पक्ष को बुलाये क्लर्क हरीश सरोहा को नौकरी से बर्खास्त कर देती है। इसके बाद अक्टूबर 2019 तक बैंक और नरेला पुलिस की तरफ से होनेवाली कार्रवाई के इन्तेजार में पीड़ित पक्ष विभिन्न सरकारी दफ्तरों और मीडिया दफ्तरों के चक्कर काटता रहा। इसके बाद पीड़ित पक्ष ने मामले में इंसाफ ना मिलता देखकर रोहिणी कोर्ट में दफा 156(3) के तहत एफआईआर के लिए मुकदमा दायर किया जिसमें तीन आईओ की रिपोर्ट के आधार पर 16 मार्च 2022 को फैसला देते हुए महानगर दंडाधिकारी दिव्या मल्होत्रा की कोर्ट ने कहा है कि आईओ से रिपोर्ट मंगवाई गई जिसकी प्रारंभिक जांच में पता चला कि प्रथम दृष्टया प्रस्तावित आरोपी हरीश सरोहा और एक पुष्पा, दोनों बैंक कर्मचारी, धोखाधड़ी और घोटाले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था और तदनुसार बैंक ने उन्हें सेवाओं से बर्खास्त कर दिया है।

इस प्रकार, उपरोक्त तथ्यों से, यह स्पष्ट है कि वर्तमान मामले में एक संज्ञेय अपराध हुआ है जिसके बावजूद पुलिस अधिकारियों ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं किया है। अतः एसएचओ पीएस नरेला को वर्तमान मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है। 10 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की जाए। पीड़ित ने इस बैंक घोटाले में छह बैंक कर्मियों को आरोपी बनाया था जिसमें इस बैंक के चेयरमैन का नाम भी शामिल है। बैंक चेयरमैन पर पीड़ित महिला के पीटीआई को धमकाने का आरोप है। पीड़ित पक्ष का दावा है की मामले में जिस आरोपी ब्रांच मैनेजर राजेश बाला दहिया की संलिप्तता है वो बैंक चेयरमैन की नजदीकी रिश्तेदार है। साथ ही, यहां यह भी विशेष रूप से बताते चलें कि इस मामले में आरोपी बैंक चेयरमैन देश के सबसे बड़े सहकारी संस्थान नैफेड का भी मौजूदा चेयरमैन है।

पीड़ित का आरोप है की बैंक चेयरमैन के तौर पर बिस्कोमान डॉक्टर बिजेन्द्र सिंह मामले में मुख्य आरोपी तत्कालीन ब्रांच मैनेजर राजेश बाला दहिया के नजदीकी रिश्तेदार हैं और उन्ही के आदेश पर बैंक अधिकारीयों ने राजेश बाला दहिया को बचाये रखने की हड़बड़ी में अपने ही रिटायर्ड मैनेजर की पत्नी के खाते में हाथ साफ़ कर दिया। साथ ही अन्य पांच आरोपी बैंक कर्मियों ने हरीश सरोहा, राजेश बाला दहिया, एमडी के पीए और मैनेजर स्टैब्लिशमेंट गजेन्द्र सिंह चौहान, स्वाति महाजन, खाताधारक सुनीता सिंह का नाम भी शामिल है।

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